



आजकल हेल्थ और फिटनेस हर किसी की प्राथमिकता बन चुकी है। लेकिन ज्यादातर लोग सिर्फ वेट मशीन पर दिखने वाले नंबर से तय कर लेते हैं कि वे हेल्दी हैं या नहीं। असलियत ये है कि शरीर के वजन और लंबाई के बीच का बैलेंस ही असली फिटनेस का पैमाना है। इसी बैलेंस को मापने का सबसे आसान तरीका है BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स।
बहुत से लोग जानते हैं कि BMI एक कैलकुलेशन है, लेकिन ये कैसे काम करता है, किस पर लागू होता है और इसकी क्या सीमाएँ हैं, ये हर किसी को पता नहीं होता। आज हम आपको BMI से जुड़ी हर छोटी-बड़ी डिटेल देंगे ताकि आप खुद तय कर सकें कि आपका वजन आदर्श है या आपको अलर्ट होने की ज़रूरत है।
BMI (Body Mass Index) एक ऐसा कैलकुलेशन है जो किसी भी व्यक्ति के वजन और लंबाई के आधार पर बताता है कि उसका शरीर स्वस्थ है या नहीं। इसे सबसे आसान भाषा में कहें तो, BMI शरीर की लंबाई और वजन का अनुपात है।
अगर आपका वजन आपकी लंबाई के हिसाब से ठीक है तो BMI नॉर्मल रेंज में आता है। अगर वजन ज्यादा है तो BMI बढ़ जाता है और अगर वजन कम है तो BMI कम निकलता है। यही कारण है कि इसे फिटनेस चेक करने का बेसिक और शुरुआती टूल माना जाता है।
BMI निकालने का फॉर्मूला बहुत आसान है।
फॉर्मूला:
BMI = वजन (किलोग्राम में) ÷ (लंबाई × लंबाई) (मीटर में)
उदाहरण:
मान लीजिए किसी व्यक्ति का वजन 70 किलो है और लंबाई 1.75 मीटर है।
BMI = 70 ÷ (1.75 × 1.75)
BMI = 70 ÷ 3.06
BMI = 22.8
यानि इस व्यक्ति का BMI नॉर्मल रेंज में आता है।
WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) ने BMI के लिए अलग-अलग रेंज तय किए हैं। इनसे आसानी से समझा जा सकता है कि आपका वजन सही है या नहीं।
| BMI स्तर | श्रेणी | मतलब |
|---|---|---|
| 18.5 से कम | अंडरवेट | वजन कम |
| 18.5 – 24.9 | नॉर्मल | वजन सही और संतुलित |
| 25 – 29.9 | ओवरवेट | वजन ज्यादा |
| 30 और उससे ऊपर | मोटापा (Obese) | मोटापे से जुड़ी बीमारियों का खतरा |
हर किसी को अपना BMI जरूर चेक करना चाहिए, क्योंकि ये आपके स्वास्थ्य से जुड़ी कई अहम बातें बताता है। अगर BMI बढ़ा हुआ है तो ये संकेत है कि शरीर में फैट ज्यादा जमा हो रहा है और हार्ट डिजीज, डायबिटीज और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। वहीं अगर BMI बहुत कम है तो ये बताता है कि आपके शरीर में जरूरी न्यूट्रिशन की कमी है।
BMI जानकर आप समय रहते अपने वजन और लाइफस्टाइल को सुधार सकते हैं।
हालांकि BMI एक आसान और लोकप्रिय टूल है, लेकिन ये हर किसी पर लागू नहीं होता।
गर्भवती महिलाएं: उनका वजन सिर्फ शरीर का नहीं होता बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे का भी शामिल होता है।
बच्चे और बुजुर्ग: इनके शरीर की संरचना अलग होती है, इसलिए BMI सही रिजल्ट नहीं देता।
बॉडीबिल्डर्स और एथलीट्स: इनके शरीर में मसल्स ज्यादा और फैट कम होता है, लेकिन BMI मसल्स और फैट में फर्क नहीं कर पाता।
इसलिए इन लोगों के लिए BMI सही पैमाना नहीं है।
BMI शरीर के वजन और लंबाई के अनुपात को बताता है, लेकिन इसमें कुछ सीमाएँ भी हैं।
फैट का वितरण नहीं बताता:
BMI ये नहीं बता सकता कि शरीर में फैट कहाँ जमा है। पेट की चर्बी और जांघों की चर्बी का असर अलग होता है, लेकिन BMI इसे नहीं मापता।
हर शरीर अलग:
किसी की हड्डियाँ भारी होती हैं तो किसी की मसल्स ज्यादा। BMI इन्हें ध्यान में नहीं रखता।
केवल इंडिकेटर:
BMI सिर्फ एक इंडिकेटर है, इसे स्वास्थ्य का अंतिम पैमाना नहीं माना जा सकता।
वयस्कों यानी एडल्ट्स का BMI अलग तरह से देखा जाता है। वजह ये है कि उम्र, लिंग और मसल्स का असर BMI पर पड़ता है।
उदाहरण के तौर पर –
एक एडल्ट पुरुष जिसका BMI 24 है, उसे नॉर्मल माना जाएगा। लेकिन अगर वह एक्सरसाइज नहीं करता और शरीर में फैट ज्यादा है तो असल में वह हेल्दी नहीं होगा। वहीं, उसी BMI वाला एक एथलीट जिसकी मसल्स स्ट्रॉन्ग हैं, उसे हेल्दी माना जाएगा।
यानी सिर्फ BMI देखकर यह तय नहीं किया जा सकता कि कोई व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ है।
संतुलित आहार लें: वजन और BMI को सही रखने के लिए डाइट का संतुलित होना जरूरी है।
एक्सरसाइज करें: रोजाना वर्कआउट या कम से कम 30 मिनट की वॉक जरूरी है।
जंक फूड कम करें: ज्यादा तली-भुनी और पैकेज्ड चीजें BMI को बढ़ाती हैं।
रेगुलर हेल्थ चेकअप: समय-समय पर BMI के साथ-साथ शुगर और कोलेस्ट्रॉल भी चेक कराएं।
BMI एक आसान और जरूरी टूल है जो आपके वजन और लंबाई के बीच संतुलन को दिखाता है। हालांकि इसकी कुछ सीमाएँ हैं, लेकिन सामान्य लोगों के लिए यह फिटनेस चेक करने का सबसे आसान तरीका है।
अगर आपका BMI नॉर्मल है तो इसे मेंटेन करना आपकी जिम्मेदारी है। अगर BMI कम या ज्यादा है तो तुरंत अपनी डाइट और लाइफस्टाइल सुधारें, क्योंकि समय रहते उठाया गया कदम बड़ी बीमारियों से बचा सकता है।
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