What Is Chhath Puja In Hindi: छठ पूजा प्रकृति, परिवार, श्रध्दा, प्रेम और विश्वास का पवित्र त्यौहार है। यह त्यौहार स्वास्थ और संतानों की भलाई के लिए किया जाता है। हमारे भारत में अनेक त्यौहार मनाये जाते है लेकिन छठ पूजा का ये त्यौहार सभी लोगो के दिलो में नई खुशियाँ लता है।
छठ माता और सूर्य देव का ये त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाने वाला त्यौहार है। छठ पूजा चार दिनों तक मनाया जाता है यह त्यौहार बहुत कठिन होता है, इसमे लगभग 36 घंटो तक बिना खाना पानी के व्रत रहना पड़ता है।
What Is Chhath Puja? क्यों मनाया जाता है ये त्यौहार ?
लोगो की मान्यता है कि सूर्य देव सभी लोगो को उजाला और जीवन देते है और छठ माता लोगो की रक्षा करती है, इसलिए यह त्यौहार उनके लिए मनाया जाता है।
यह त्यौहार बहुत पहले से ही मनाया जाता है कहा जाता है की छठ मैया की पूजा माता सीता और द्रौपती ने भी किया था। छठ पूजा मनाने की मान्यताये है जैसे:-
- त्रेतायुग की कथा – कहा जाता है की छठ पूजा को सबसे पहले भगवान राम और माता सीता ने किया। जब श्री राम ने रावन को मारा था तब उनपर ब्रम्हात्ता का दोष लगा था क्यों की रावन को ब्रम्हा का पुत्र कहा गया है। अयोध्या लौटने के बाद मुनियों की सलाह से माता सीता ने छठ माता और सूर्य देव की पूजा की और सभी पापो से छुटकारा पाई। इसी दिन से छठ पूजा का त्यौहार मनाया जाने लगा।
- द्वापरयुग की कथा – जब पांडव और कौरवों के बीच लड़ाई होने वाली थी तब इस पूजा को किया जा रहा था। द्रौपती ने छठ माता की पूजा की ताकि उनके पतियों की रक्षा और जीत हो और उनको फिर से उनका सत्ता मिले। कर्ण ने सूर्य देव की पूजा किये जिससे की वे स्वाथ्य रहे और लड़ाई को जीत जाये।
- राजा प्रियतम की कहानी – यह कहानी बताती है की, छठ माता की पूजा करने से संतान प्राप्ति होती है और और वो लोग स्वथ्य रहते है।
इन सभी कथा और कहानियो से लोग यही मानते है, की छठ माता हमारी और हमारे बच्चों की रक्षा करती है और हमें सुख – शांति देती है। छठ माता को पूरी सृष्टि का छठा अंश माना जाता है।
छठ पूजा का क्या महत्व है?

छठ पूजा से लोगो ने नई सोच, समानता और शांति आती है यह पूजा नारी के सम्मान और महत्त्व को बताता है। छठ पूजा से लोगो में आस्था और भक्ति देखने को मिलता है, लोगो का आपस में भाईचारा बढ़ता है और परिवार में प्रेम बढ़ता है।
इससे कई लोगो को रोजगार का भी रह दिखता है और व्यापार में बढ़ावा मिलता है। इस पूजा में चाहे कोई कितना भी अमीर और गरीब होता है सबको एक ही घाट पर खड़ा होना पड़ता है और डूबते सूर्य और उगते सूर्य को अर्ध्य देना होता है।
हमें जीवित और स्वस्थ रखने वाले सूर्य देव और छठ मैया को इस पूजा से धन्यवाद दिया जाता है और आगे भी हमारी खुशिया बनी रहे इसकी प्रार्थना किया जाता है।
यह व्रत हमें सिख देता है की अनुशासन होना हमारे जीवन बहुत जरुरी है, और सबकी मदद करने से भगवान और छठ मैया हमसे खुश रहते है। इस पूजा से न केवल धार्मिक रूप से बल्कि सामाजिक रूप से हमें एकता में बनायीं रहती है।
यह पूजा बहुत बड़ा होता है इसमे चार दिनों तक सफाई से और ढेर सारा काम काज करना पड़ता है। जिससे परिवार के सभी लोग इकट्ठा होते है और अपने रिश्ते को बनाये रखते है।
छठ पूजा का वैज्ञानिक रूप से महत्त्व दिया जाता है। डूबते और उगते सूर्य को पानी से अर्घ्य देते समय सूर्य की पराबैगनी किरणे हम पर नही पड़ती है, और वह रोशनी हमारे लिए फायदेमंद होती है। यह पूजा पर्यावरण के महत्त्व को बताती है और इसकी रक्षा पर सलाह देती है।
छठ पूजा में लगाने वाली सामग्रिया
- बाँस का सूप और टोकरी
- जो पूजा कर रहा हो उसके लिए नए कपड़े
- हल्दी, रोरी, चन्दन, पान, सुपारी
- पीतल का थाली और लोटा
- गन्ना, शहद और गंगा जल
- प्रसाद में ठेकुआ के लिए गेंहू या चावल का आटा और गुड़
- मिठाई और फल जैसे – सेब, केला, गन्ना, शकरकंद, सीताफल, नारियल, अमरुद, संतरा और नींबू आदि।
- धूपबत्ती, अगरबत्ती, कपूर और दीया जलने के लिए दीपक, रुई और तेल या घी, गुड़ के लड्डू, चावल का हलवा आदि।
छठ पूजा कैसे मनाया जाता है ?
छठ का ये त्यौहार चार दिनों तक मनाया जाता है। इन चार दिनों में अलग – अलग तरह से पूजा किया जाता है। इसमे पहले दिन को नहाय खाय दुसरे दिन को खरना तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य और चौथे दिन को उषा अर्घ्य कहा जाता है।
पहला दिन, नहाय – खाय होता है।
छठ पूजा में जो भी लोग व्रत रहते है वो लोग पहले दिन सुबह में नहा कर साफ और नया कपड़ा पहनते है। फिर सदा खाना खाते है जिसमे दाल – चावल, लौकी की सब्जी और रोटी होता है कुछ लोग ठेकुआ, गुड़ और फल भी खाते है। यह दिन शान्ति और स्वाथ्य का दिन होता है।
दुसरा दिन खरना होता है।
इसमे जो लोग व्रत रहते है दुसरे दिन शाम को गुड़ का खीर और रोटी या पुड़ी बनाते है और परिवार के सभी लोग साथ में बैठ कर सूर्य देव को भोग लगते है। जो व्रत रहते है वो लोग शाम को वाही प्रसाद गुड़ का खीर और पुड़ी खाते है और अगले 36 घंटो के लिए व्रत को तैयार होते है इस व्रत में न तो खाना खान होता है और न ही पानी पीना होता है।
तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है।
तीसरा दिन छठ पूजा का सबसे बड़ा दिन होता है। इस दिन जो लोग व्रत रहते है वो अपने परिवार के साथ नदी, तालाब या किसी पोखरे के पास इकट्ठा होते है और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते है।
इसमे बांस का सूप होता है जिसमे पूजा के सभी सामान होते है और गन्ना होता है। सूर्य को अर्घ्य देते समय ठेकुआ, गन्ना, फल और कच्चे दूध को अर्घ्य देते है। इस पुरे दिन व्रत रहना होता है ।
चोथा दिन उषा अर्घ्य का होता है।
इस दिन सुबह के उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा का समाप्त किया जाता है, और लोगो को प्रसाद दिया जाता है। इस दिन जो लोग व्रत रहते है वो सब पीले रंग का कपड़ा पहनते है और पूजा के सभी नियमो का पालन करते हुए इसकी समाप्ति करते है।
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छठ पूजा कहाँ – कहाँ मनाई जाती है ?
छठ पूजा का ये सुन्दर त्यौहार ज्यदाकर भारत के उत्तर राज्यों में मनाई जाती है। बिहार में तो इस त्यौहार का मेला लगता है यह त्यौहार बिहारियों के लिए सबसे बड़ा होता है।
इस पूजा के लिए बिहार के सभी लोग जो किसी और राज्य में होते है, सब लोग अपने घर बिहार में आते है और इस त्यौहार का आनन्द लेते है। बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, झारखण्ड और नेपाल के कुछ जगहों पर ये त्यौहार मनाया जाता है।
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WHAT IS CHHAT POOJA?
छठ पूजा में सूर्य देव और छठ माता की पूजा किया जाता है, और उनसे प्रार्थना किया जाता की हमें सुख और शांति प्रदान करे। यह पूजा प्रकृति और स्त्री के सम्मान का प्रतीक है इसमे लोग संतान प्राप्ति और अपने संतानों की रक्षा की कामना करते है।
निष्कर्ष
छठ पूजा लोगो में एकता का प्रतिक है इसमे लोग अपने बच्चों के स्वाथ्य और लम्बे जीवन की कामना करते है। इसमे सूर्य देव और छठ माता की पूजा करते है और प्रार्थना करते है। यह त्यौहार बहुत पहले समय से ही मनाई जा रही है, लोगो की मान्यता है की इससे छठ माता खुश होती है और हमें सुख – शान्ति का आशीर्वाद देती है। इस त्यौहार में किसी मूर्ति की पूजा न होकर प्रकृति की पूजा होती है जो यह सन्देश देता है की प्रकृति हमें जीवन देती है।